NATHMAL KI HAWELI - JAISHALMER - VAISHYA BANIYA HERITAGE
2 भाइयों ने बनवाई थी यह हवेली, 5 स्टार होटल को देती है टक्कर, वास्तुकला देख दीवाने हो जाते हैं लोग
जैसलमेर: राजस्थान का जैसलमेर खूबसूरत ऐतिहासिक इमारतों और किलों के लिए देश के लोगों में ही नहीं विदेश पर्यटकों में भी काफी मशहूर है. जैसलमेर चारों तरफ बड़े-बड़े महलों-रंगीन संस्कृति, पहनावा और दिलचस्प कलाकृति के लिए जाना जाता है. इस शहर की हवेलियों की बनावट देख भी लोग खुश हो जाते हैं. नाथमल की हवेली भी जैसलमेर की खूबसूरत हवेलियों में से एक है. इसे 19वीं शताब्दी में 2 वास्तुकार भाइयों ने बनवाया था. सुंदर इतनी है कि इसे देख आप 5 स्टार होटल को भी भूल जाएंगे.
नाथमल की हवेली का इतिहास
नाथमल की हवेली जैसलमेर में स्थित एक प्रमुख पर्यटक स्थल है. इस हवेली को राजस्थानी स्थापत्य कला का उदाहरण माना जाता है. नाथमल की हवेली का निर्माण 19वीं सदी में पारंपरिक राजपूताना शैली के रूप में हुआ था. हवेली की विशेषता उसके आर्किटेक्चर में ही समाहित है. यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में मशहूर है. जहां देशी और विदेशी पर्यटक इसकी भव्यता और सांस्कृतिक महत्व का आनंद लेने पहुंचते हैं. बताया जाता है कि जैसलमेर शहर की स्थापना 12वीं शताब्दी में एक स्थानीय नेता रावल जैसल ने की थी, उन्होंने ही इस शहर का नाम जैसलमेर का नाम दिया था.
हवेली में बनी है सुंदर चित्रकारी
नाथमल हवेली अपनी नक्काशी और सुंदर चित्रों के लिए प्रसिद्ध है. यह इमारत पीले बलुआ पत्थरों से बनी हुई है. इस इमारत में दो पंख हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना प्रवेश द्वार है. इस हवेली की बालकनियां दरवाजे और खिड़कियां नक्काशी और सुंदर चित्रों से सजे हुए हैं. जिसकी सुंदरता देख पर्यटक इसकी ओर खिंचे चले आते हैं.
वास्तुकला के दीवाने हो जाते हैं लोग
आज आप नाथमल की हवेली देखने जाएंगे तो आपको हवेलियों में दो बहुत ही दिलचस्प वास्तुकलाएं दिखती हैं. यही वास्तुकला नाथमल की हवेली को जैसलमेर के शीर्ष पर्यटक स्थलों में से एक बनाती है. यहां घूमने आने पर आप बहुत सारी दिलचस्प सारे उपहार और स्मृति चिन्हों की खरीदारी कर सकते हैं. इसके साथ ही यहां पर स्थानीय लोगों को काफी रोजगार मिला है.
जानें कब हुआ हवेली का निर्माण
नाथमल की हवेली का नाम जैसलमेर के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहता नाथमल के नाम पर उनके भाइयों लुलु और हाथी ने रखा था. इसका निर्माण 1885 में हुआ था. बताया जाता है कि दोनों भाइयों ने एक ही समय पर अलग-अलग हवेली का निर्माण शुरू किया था. इस वजह से यह हवेली दो खंडों में विभाजित है. हवेली को दोनों हिस्से समान हैं.
जानें नाथमल हवेली के खुलने का समय
नाथमल हवेली सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे तक खुली रहती है. यहां प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है. इतिहास और कमाल की वास्तुकला देखने के लिए यह हवेली एक अच्छा विकल्प है.
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