झुंझुनूं का महनसर गांव, जहां है सोने-चांदी से लिखी सचित्र रामायण, देखें तस्वीरें
( झुंझुनूं में है सोने-चांदी से लिखी सचित्र रामायण)
शेखावाटी के सेठ साहुकारो ने अपनी गद्दी (पुराने जमाने का व्यापार करने का कार्यालय) सोने की दुकान में दुर दराज और देश विदेशों से आए व्यापारी महमानों के लिये कमरे में सोने-चांदी की रामायण बनवा रखी थी.
हम बात कर रहे हैं सेठ हरकन्ठ राय पोद्दार के द्वारा बनाये कमरे की. इसे सोने की दुकान कहा जाता है. जो लगभग 175 साल पहले जब इनका हीरे और जवाहरात का व्यापार जापान, चीन और अन्य कई देशों में था. व्यापारी ने लेन देन के लिये सोने की दुकान, कार्यालय (गद्दी) बना रखी थी. झुंझुनू जिले के महनसर गांव में कार्यालय बनवाया था.
महनसर एक छोटा सा गांव है लेकिन उसी गांव में प्रसिद्व सोने-चांदी की रामायण का कमरा है जिसे उस समय सोने की दूकान कहते थे. यह सोने की दुकान महनसर गांव के मुख्य बस स्टैंड पर पोद्दारो की हवेली में है. जिसे अब देखरेख के कारण ज्यादातर बंद ही रखा जाता है. इसे बाहर से आये पर्यटकों के लिये ही खोला जाता है.
इस सोने की दुकान की खास बात यह है कि इसमें राम जन्म से लेकर लव कुश तक पुरी रामायण, देवी देवताओं का सचित्र वर्णन है. ये सोने और चांदी से बनी हुई है. पुरे चित्रों को सोने और चांदी के घोल से बनाया गया है.
यहां के कमरे के खंबो पर रामायण लिखी है. वह भी सोने से पेंट की गई है. जिसमें संस्कृति में रामायण का पाठ लिखा गया है. आज भी यह उसी तरह अकर्षित और सुनहरी दिखाई देती है. किसी के देखेने पर यह नहीं लगता कि यह 175 वर्षों से भी ज्यादा पुराना है.
यहां के सोने-चांदी की पेंटिंग की चमक आज भी बरकरार है. कुछ जगह रखरखाव के अभाव में दीवार में सीलन आ गई है लेकिन अभी भी इसकी चमक बरकरार है.
यह पुरी रामायण दुकान की छत पर बनायी गयी है. पहले समय में शेखावाटी के सभी मकान चुने के बने होते थे ओर इनकी खास बात यह होती थी की इनकी छत ढोले (गोल आकर) की होती थी जो शर्दीयो में गर्म और गर्मियों में ठंडी रहती थी.
175 वर्ष पहले इस सोने की दुकान को हीरे जवाहरात के देश विदेश से आने वाले व्यापारियों के विश्राम के लिए और व्यापारिक कार्य के बनाया गया था. इस सोने की दूकान (गद्दी) में व्यापारियों के विश्राम, आराम और थकान दूर करने के लिए इस कमरे में सम्पूर्ण रामायण सचित्र बनाई गई है. इसमें राम जन्म, राम विवाह से लेकर वनवास और रावण वध, लव कुश तक का चित्रण किया गया है.
इस दुकान के दूसरे और तीसरे भाग में शिव महिमा, कृष्ण लीला और कुछ महाभारत के दृश्य अंकित हैं. सोने की दुकान के पोद्दार परिवार के कुलदीप पोद्दार ने कहा कि पोद्दार परिवार के वंशज कुलदीप पोद्दार ने बताया कि यह सोने की दुकान को उनके बुजर्गो के द्वारा हीरे, जवाहरात के व्यापार करने आने वाले व्यापारियों के लिए बनाया गया था. इसी दुकान में सभी तरह के व्यापार होते थे.
पोद्दार ने आगे बताया कि इस दुकान में सोने-चांदी के घोल से रामायण, कृष्णलीला और महाभारत के सचित्र पेंटिंग अंकित की गई है. साथ ही हर दीवार पर खड़े ढ़ोलो पर भगवान के 52 अवतार के चित्र बने हुए हैं. रामायण में रामचन्द्र भगवान की बारात के दृश्य से लेकर सीता विवाह, सीता हरण, वनवास, रावण वध और लव कुश का चित्रों के द्वारा चित्रार्थ है. साथ ही कृष्णलीला के जन्म से लेकर कंश वध का चित्रण चित्रार्थ के साथ श्रवण कुमार के द्वारा अपने माता पिता को तीर्थ का दृश्य बने हुए हैं.
महनसर के निवासी प्रहलाद पोद्वार ने बताया कि यह सोने की दुकान लगभग 175 वर्ष पुरानी है. यह पूरी इमारत चुने पत्थर से निर्मित है. इस दुकान की खासियत यह है कि यह सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडी रहती है. आज भी इस सोने की दुकान को देखने की दीवानगी विदेशों तक देखी जाती है. आज देश ही नहीं विदेशों तक से आने वाले पर्यटकों की पहली पसंद सोने की दुकान देखने की रहती है. सैकड़ों की तादाद में इस दुकान को देखने के लिए पर्यटक आते हैं.
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