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Monday, February 12, 2024

BHATIA MAHAJAN VAISHYA GOTRA - भाटिया महाजन वैश्य की की गोत्र

#BHATIA MAHAJAN VAISHYA GOTRA - भाटिया महाजन वैश्य की की गोत्र

पंडित हरिदत के अनुसार भाटिया महाजन के 7 गोत्र जो अनेक उपसखाये रही जो निमं प्रकार है

1 परासर गोत्र

1 राय गाजरिया 2 राय पञ्चलोडिया 3 राय पलिजा 4 राय गगला 5 राय सराकी 6 राय सोनी 7 राय सुफला 8 राय जीया 9 राय मोगला 10 राय घघा 11 राय रीका 12 राय जयधन 13 राय कोढ़िया 14 राय कोवा 15 राय रडिया 16 राय कजराया 17 राय सीजवाला 18 राय जियाला 19 राय मलन 20 राय धवा 21 राय धिरण 22 राय जगता 23 राय निशात

2 साणस गोत्र

राय दुत्या 2 राय जब्बा 3 राय बबला 4 राय सुअडा 5 राय धावन 6 राय डंडा 7 राय ठगा 8 राय कंधिया 9 राय उदेसी 10 राय बधुच 11 राय बलाए

3 भारद्वाज गोत्र

राय हरिया 2 राय पदमसी 3 राय मेद्या 4 राय चान्दन 5 राय खियारा 6 राय थुल 7 राय सोढिया 8 राय बोडा 9 राय मोछा 10 राय तम्बोल 11 राय लाख्वंता 12 राय ढककर 13 राय भुद्रिया 14 राय मोटा 15 राय अनगढ़ 16 राय ढ़ढाल 17 राय देग्चंदा 18 राय आसर

4 सुधर वंश गोत्र

1 राय सपटा 2 राय छाछेया 3 राय नगड़ 4 राय बावला 5 राय परमला 6 राय पोथा 7 राय पोणढग्गा 8 राय मथुरा

5 मधुवाधास गोत्र

1 राय वैद 2 राय सुरया 3 राय गूगल गाँधी 4 राय नए गाँधी 5 राय पंचाल 6 राय फुरास गाँधी 7 राय परे गाँधी 8 राय जुजर गाँधी 9 राय प्रेमा 10 राय बीबल 11 राय पोवर

6 देवदास गोत्र

1 राय रमैया 2 राय पवार 3 राय राजा 4 राय परिजिया 5 राय कपूर 6 राय गुरु गुलाब 7 राय ढाढार 8 राय करतारी 9 राय कुकण

7 ऋषी वंशी

1 राय मुल्तानी 2 राय चमुजा 3 राय करण गोना 4 राय देप्पा

भाटिया वैश्य साहूकारी के लिए जहा प्रसिद्ध रहे है वही धर्मात्मा के रूप में प्रख्यात होने का गौरव उन्हें प्राप्त है । वे जिस क्षत्र में रहे उन्होंने धर्मशालाये , पाठशालाये , मंदिर , ज लाशय आदि का निर्माण करवाकर जनहित का परिचय दिया । ये भाटी वंश से उत्पन होने के कारण गौरव को अभी तक संजोये हुए है । भाटिया व्यापारी भारत तक ही नहीं सीमित रहे बल्कि समुन्द्र पार कर अरब और अफ्रीका देशो में भी गए । और वहा अपना नाम कमाया । ये जब समुन्द्र पार करते तब माल असबाब की सुरक्षा के लिए जहाजो पर 18 से 24 टोपे लगाते । 300 वर्ष पूर्व इन्होने बसरेमें गोविन्द्रय का मंदिर बनवाया । सत्रु जब उसको ध्वस्त करने लगे तो गोविन्द्रय की मूर्ती मस्कट में लाकर स्थापित की । मुख्यतः ये हाथी दांत , महिदान , कोड़ा , कोड़ी , गेंडे का चमड़ा , और सीप आदी वस्तुओ का का व्यापार करते थे । अनेक भाटिया वल्लभाचार्य सम्प्रदाई के अनुयायी है । मांडवी के मानजी जीवा ( कच्छ के दीवान ) सेठ मुरारजी गोकुलदास ( मुंबई की कोंसिल के सदस्य )सेठ मुलजि ( द्वारका के मंदिर बनवाया ) सेठ विसरा माउजी , सेठ मानजी , सेठ तेजपाल , सेठ जीवराज , बालुके आदि भाटिया के नाम उलेखनीय है ।

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