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Monday, February 12, 2024

PAL AND SEN VAISHYA DYNESTY - बंगाल का पाल एवं सेन वंशीय वैश्य राजा

#PAL AND #SEN VAISHYA DYNESTY - बंगाल का पाल एवं सेन वंशीय वैश्य राजा

विक्रम संवत की आठवी शताब्दी तक तो सभी अग्रवाल अग्रवंशी मिल जुल कर रहते थे. पर ईर्ष्यालु लोगो ने अवसर पाकर के अग्रवंशियो में फूट डलवादी . शैव अग्रवाल गन जो की अपने जैन और वैश्य बंधुओ से संख्या में कम थे इसी कारण से उन्हें राज्य प्रबंध सम्बन्धित ऊँचे अधिकार बहुत कम मिलते थे. इसी कारण से सभी अग्रवालो में आपस में लड़ाई आगे बढ़ने लगे. इस का प्रतिफल यह हुआ की इस आग ने चिंगारी का रूप ले लिए. विक्रम अम्वत ७५८ में शैव अग्रवालो के दो मुखिया पुरुष शिवानन्द और धर्मसेन, धरा नगर के तोमर वंशी रजा से जाकर मिले. उनका नाम समरजीत था. और उनसे मिलकर अग्रोहा पर चढ़ाई कर दी. घोर युद्ध हुआ. और दुर्भाग्य वश अग्रोहा राज्य समरजीत के हाथ में आ गया. दस बारह सहत्र से अधिक अग्रवंशी योद्ध्या वीर गति को प्राप्त हुए. सारा बंग देश यानी की बंगाल उस समय समरजीत के हाथ में था. यह देश समरजीत के अधिकार से वैश्य सम्राट हर्षवर्धन के पास आ गए था. विक्रमी अम्वत ७५९ में इसका पश्चिमी भाग समरजीत ने शिवानन्द को और पूर्वी भाग धर्मसेन को दे दिया था. शिवानन्द की संतान पाल वंश के नाम से और धर्म सेन की संतान सेन वंश के नाम से प्रसिद्द हुई. और उन्होंने विक्रम संवत १२६० तक ५०० वर्ष राज्य किया.

जब अग्रवंशी शिवानन्द बंगाल का शासन भली भांति नहीं कर सका तो प्रजा ने अम्वत ७८८ में उसके पुत्र गोपाल को अपना राज चुन लिया. जिसन शीघ्र ही अपनी बुद्धिमत्ता से और सगुनो से अपना इतना बल बढ़ा लिया था की थोड़े ही काल में दक्षिणी बिहार, और उसके आसपास के स्थानों को भी अपने राज्य में मिला लिया. इसका राज्य इसी के नाम से पाल वंशी राज्य के नाम से प्रसिद्ध हो गया. और यह पाल वंश का पहले राजा कहलाया. इसके पश्चात, धर्मपाल, फिर वेदपाल हुए. इन्होने इतनी प्रसिद्धि पाए की ये ह राज्य भारत के वैभवशाली राज्यों में गिना जाने लगा. विक्रम संवत ८६० में धर्मपाल द्वितीय ने अपने बल और प्रक्रम से कन्नौज के राजा को हटा कर दुसरे राजा को वंहा बिठा दिया. इनके बाद महिपाल और नेपाल बहुत प्रसिद्ध हुए इस वंश में सबसे अंतिम प्रसिद्द रजा रामपाल हुए. जसने ११८७ संवत तक राज्य किया. पाल वंशी राजाओ की राजधानी कुछ दिन राजगृह, फिर मुंगेर, फिर कूचविहार रही.

धर्म सेन और उसके संतानों ने पूर्वी बंगाल पर सेन वंश के नाम से संवत ७५९ से १२६० तक ५०१ वर्ष राज्य किया. संवत १२०० में जब यह राज्य विजयसेन के अधिउकार में था तो उसने इसे उन्नत अवस्था पर पहुंचा दिया. इसी राजा के समय में सेन वंश ने पाल वंश के राजाओ की प्रतिष्ठा को बहुत घटा दिया था. संवत १२६० तक सेन वंश का शासन रहा. सेन वंशी राजा हमेशा शैव मत का पालन करते रहे. सेन वंशीय राजाओं की राजधानी नवद्वीप अर्थात नादिया नगरी रही.

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