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Thursday, February 15, 2024

ASATI VAISHYA CASTE

#ASATI VAISHYA CASTE

असाटी समाज की आदिता के सम्बन्ध में इतिहास बताता है कि असाटी वैश्य उन्हीं वैष्णव में से हैं जब से ब्राम्हण, क्षत्रिय, शूद्र ये चार वर्ण बने हैं। हीरापुर निवासी स्वर्गीय चैधरी श्री दमरूलाल ने असाटी समाज की उत्पत्ति की जानकारी के लिये जाति भास्कर ग्रन्थ का अवलोकन किया है और उसमें 84 प्रकार के वैश्यों के नामों का उल्लेख बताया है जिसमें अयोध्यावासी वैश्य भी लिखे हैं।

अयोध्या राजधानी के निवासी होने के कारण प्रारंभ काल से लेकर आज भी अपने असाटी समाज की चिट्ठी पत्रियों में राम-राम, जय सियाराम, जय श्री सीताराम अथवा जय राम जी को ही लिखा जाता है। जैसे कि आग्रा के निवासी होने से अग्रवाल कहलाते हैं और उनकी चिट्ठी पत्रियों में अधिकतर जय गोपाल जय राधेश्याम लिखा जाता है।

झांसी जिले के कुमेड़ी ग्राम में स्वर्गीय दुर्जन सरकनया असाटी समाज में बड़े विद्वान और भक्त पुरूष हो गये हैं। इनका स्वाभाव भी ऐसा ही था कि देश में घूमना, विद्वानों की संगत करना और समाज सुधार के कार्य करना। एक समय इन्होंने तिरोड़ा ग्राम में 17 दिन तक एक पंचायत करके समाज की एकता की थी। श्री दुर्जन सरकनया ने अपनी एक रचियता पुस्तक में अपने को असाटी न लिखकर पूर्व अयोध्यावासी लिखा है। अब अपना समाज अयोध्यावासी से असाटी कैसे कहलाया उसका कारण यह है कि अयोध्या के निकट असाटी नाम एक ग्राम है। अपने पूर्वज, मुगलों के या किसी और के आतंक से या अकाल के कारण लगभग तीन चार सौ वर्ष पूर्व असाटी ग्राम से टीकमगढ़, छतरपुर आदि रियासतों के ग्रामों में आकर रहने लगे थे, अयोध्या की राजधानी का होने से अयोध्यावासी और असाटी ग्राम का होने से असाटी कहा जाना सन्देहरहित और स्वाभाविक है। इसलिए अयोध्यावासी-असाटी वैश्य ये तीनों नाम डंके की चोट पर निर्बिवाद हैं निवास-स्थान, देश और कर्तव्य पर ही तो सब जातियाँ बनी हुई हैं।

अपने पूर्वज असाटी ग्राम से रियासतों में जब आये थे तब लगभग सौ डेढ़ सौ से अधिक न रहे होंगे। कारण कि सन् 1944 से सन् 1973 के दरम्यान इस तीस वर्ष के अर्से में 5228 की 9445 असाटी संख्या के अर्थात दूनी के लगभग हो गई है। यदि 300 वर्ष के पूर्व का अनुभव लगाया जाये तो सौ-डेढ़ सौ से अधिक नहीं आंकी जा सकती है। हर पीढ़ी में एक-एक के तीन-तीन व्यक्ति भी हों तो चक्रवृद्धि के अनुसार 1 के 3, 3 के 9, 9$9 के 27, $27 के 81, $81 के 243, $243 के 729 अर्थात् सात पीढ़ी में एक के 729 हो जाते हैं। इससे पूर्णरूप से सिद्ध होता है कि अपने पूर्वज असाटी ग्राम से उपर्युक्त रियासतों में अल्प संख्या में ही आये थे।

तीन-चार सौ वर्ष पूर्व असाटी ग्राम से रियासतों में आने के प्रमाण इस प्रकार से सिद्ध होते हैं कि अपने असाटी समाज के जो मंदिर बने हैं वह संवत् 1700 से ही बने हैं इसके उपरान्त असाटी समाज के लोगों को समाज और नरेशों द्वारा साव, नायक, चैधरी, सवाई आदि की जो उपाधियाँ मिलीं हैं उनका कार्य-काल भी सौ दो सौ वर्ष से अधिक का नहीं है जो डायरेक्ट्री के पृष्ठों में आप पढ़ेंगे।

गोत्रों की आदिता के संबंध में इतिहास बताता है कि ‘‘भारतखण्डे आर्यावर्ते …………………., अर्थात भारतवर्ष के निवासी आर्य कहलाते थे। जिनके गुण, कर्म, स्वभाव में चार प्रकार की भिन्नता थी इसलिए ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र के चार भाग बने, जैसा कि भगवान ने कहा है ‘‘चार्तुवर्ण मया सृष्टि, कर्म, विभागशः’’। इस चारों वर्णों का एक ही सनातन धर्म था जिसका धर्म संस्कार, संस्कृति द्वारा सप्त ऋषियों के नाम से कश्यप, कौशल, वाशिष्ठ, गोयल, वासल्य, बांदल्य, चारल्य यह सात गोत्र हैं जो असाटी समाज में भी हैं। शेष चार जन गोत्र, माडल्य, फांदल्य, खोड़ल उपर्युक्त गोत्रों के उपनाम ही समझ में आते हैं, कारण कि इन चार गोत्रों के सिर्फ दस-दस ही घर हैं।

वंशों के नाम स्थान और व्यवसाय पर ही रखे गये हैं आजीविका के लिए जैसे कि कठरयाई के धन्धे से कटारिया, गुलाब से गुललहा, लोहे के धन्धे से लोहिया, अरस्या, पटवारी आदि हैं। इसी प्रकार निवास स्थान के कारण ग्रामों के नाम से भी वंशों के नाम हैं तिगोड़ा के तिगड़ैया, मातौल के मातोल्या, हीरापुर के हीरापुरिया, देवदा के देवदइया व देवरा, समर्रा के समरया, दलीपुर के दलीपुरिया और कुछ वंशों के नाम पदवी पर भी चलने लगे हैं जैसा कि नायक, चैधरी आदि हैं। स्थानों के नाम से अन्य वर्णों में भी वंशों के नाम हैं अयोध्या के अयोध्यावासी, गंगातट के गंगापारी, सरयूतट के सरयूपारी, कन्नौज के कन्नौजिया, मालवा के मालवीय बुन्देलखंड के बुन्देला, महोबा के महोबिया, राजपूताने के राजपूत इससे पूर्ण सिद्ध होता है कि वर्तमान युग में निवास स्थान और आजीविका के धन्धों से और कुछ पदवी के नाम पर भी वंश बने हैं। जबकि पिछले युगों में जिनके वंश में जो पुरूषार्थी पुरूष होते थे उनके नाम से वंश चलते थे जैसा कि राजा रघु से रघुवंशी आदि हैं। निमि से निमिवंशी, कुरू से कौरव, पाण्डु से पाण्डव, यदु से यदुवंशी आदि और कुछ वंशों के नाम सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी जैसे प्राकृतियों पर भी हैं।

असाटी समाज में वंशों की संख्या 84 भी बताई है जो सन् 1944 की जनगणना में 62 थे और अब सन् 73 की गणना में 59। रियासतों में असाटी समाज जब 84 ग्रामों में थी तब समाज की व्यवस्था के लिए बारह-बारह गांव के सात चैंतरे बनाये गये थे समाज का अधिक विस्तार हो जाने के कारण डायरेक्ट्री में अब प्रमुख ग्रामों के अन्तर्गत संपर्क के ग्रामों का नाम दर्शाया गया है।

वंश, गोत्र और समाज की (उत्पत्ति) अर्थात आदिता का परिचय बड़ी खोजबीन और प्रमाणों के साथ लिखा गया है।

समाज के क्षेत्र एवं उनमें सम्मिलित नगर/ग्राम

1-जबलपुर क्षेत्र –
जबलपुर नगर, निरंदपुर, टिकारी, गनयारी, पौड़ी, चैदहमील, कटंगी, बम्होनदी, सरा, पनागर, कालाडूमर, इंद्राना, सिंगलद्वीप, बुढ़ागर, हृदय नगर, गोसलपुर, सिहोरा, घनगंवा, मंडला, मेहदवानी।

2-कटनी क्षेत्र –
कटनी नगर, तेवरी, स्लीमनाबाद, दशरमन, शनकुई, देवरी, ढीमरखेड़ा, बम्हनी, सिमरिया, पान उमरिया, पौड़ीकला, अधेलीबाग, पचपेढ़ी, घुघरी, भजिया, बड़वारा, रोहनिया, बनहरा, नन्हवारा (सेक्षा), भगनवारा, विलायतकला, नन्हवारा (बागरी), कांटी, देवराकला, कटंगी (खुर्द), भरोला, अखरार, सतना, रीवा, सीधी, शहडोल।

3-गोंदिया (महाराष्ट्र क्षेत्र) –
गोंदिया नगर, कांटी, कट्टीपार, आमगांव, सालेकसा, तिरोड़ा, मुण्डीकोटा, कबलेवाड़ा, बरठी, धामनगांव, देवरी, सरकारटोला, भागी, डोंगरगांव, सकरीटोला, कालीमाटी, बारेकंहार, कोड़ेलुहारा, भजेपार, सर्रा, बड़ेगांव, नवेगांव, मंहगांव, खेरलानी, इंदौरा, बेरडीदार, गांगला, खेढ़ेपार, सितेपार, करडी, सिल्ली, खड़की, नवेदन, सुकड़ी, विरसी, कैसलेवाड़ा, तुमसर, ऐलोरा, भंडारा, गढ़चिरौली, कापसी, हिगना, बाजारगांव, शिवा, वर्धा, पुसद, राजारामपुर, नागपुर, बम्बई, पूना।

4-बालाघाट क्षेत्र –
बालाघाट नगर, लामटा, बारासिवनी, बैहर, हिर्री, नैनपुर, भोरगढ़, कटंगी, कोहका, बिरसा, खारा, देवगांव, परसवाड़ा, रिनापुर, विनोरा, सेवती, चागोंटोला, सिवनी, बरघाट, लखनादौन।

5-दमोह क्षेत्र –
दमोह नगर, तेजगढ़, नोहटा, तेंदूखेड़ा, नरसिंहगढ़, इमलिया, गंज तवेरी, मौसीपुरा, बांदकपुर, जुझार, बिसनाखेड़ी, टौरी, गुंजी, हटरी, राजापटना, ममरखा।

6-हटा-फुटेरा-अमानगंज क्षेत्र –
हटा नगर, लुहारी, बंधा, पटेरा, खमरिया, हिनौता, अमानगंज, हुसैना, पन्ना, बकायन, रियाना, कैथोरा, आलमपुर, बटियागढ़, फुटेरा, बक्सवाहा, रनेह, चिरौला।

7-सागर क्षेत्र –
सागर नगर, खुरई, बीना, बंडा, गढ़ाकोटा, जैसीनगर, तिगोढ़ा, अमरमउ, देवरीकला, ईसरवारा।

8-टीकमगढ़ क्षेत्र –
टीकमगढ़ नगर, नन्हीटेरी, कुण्डेश्वर, गनियारी, डूंडा, पठा, कैनवारा, दरगुंमा, डिकोली, मड़ावरा, महरोनी, गिदवाहा, साडूमल, मैनवार, कुम्हेड़ी, ललितपुर, मउरानीपुर।

9-बल्देवगढ़-खरगापुर क्षेत्र –
खरगापुर, बल्देवगढ़, देरी, भानपुरा, चिनगंवा, सिजोरा, ददगीय, दोह, गैती, पथरगंवा, धरमपुरा, बनयानी, गरोला, मतोल, जोरा, कोटरा, चंदेरी, पलेरा, फुटेर, इम्लाना, डारगंवा, देवरदा, तालमउ, नयागांव, सुजारा, वनपुरा, पुताई, हटा, निवसाई, खुरिला, इमलिया,
सूरजपुरा, बुढ़ेरा, भैसाय, सूड़ाखेड़ा, रानीपुरा, नैनवारी, मउकड़वा, लड़वाड़ी, कछियाखेड़ा, कमलनगर, मोनेमातेकाखेड़ा।

10-छतरपुर क्षेत्र –
छतरपुर, नौगांव, चंद्रनगर, बमीटा, बमरीह]

11-हीरापुर-घुवारा-बड़ागांव क्षेत्र –
हीरापुर, शाहगढ़, नरवा, रामपुरा, घुवारा, अंतोरा, बड़ागांव

12-बड़ा मलहरा क्षेत्र –
बड़ा मलहरा क्षेत्र, सड़वा, गरगुंवा, सेधपा, भगवा, धरमपुरा, रमपुरा, पुतरी, खेरा, बिसवा, बमनोरा, सोरखी, बूदोर, सिवारा, बंधा, भोपरा, बहादुरपुर, मबई, मासनखेड़ा।

13-बिजावर-सटई क्षेत्र –
बिजावर, जखरौंद, रजपुरा, किशनगढ़, सटई, झुमटुली, कुपिया, अमरोनिया, रामनगर, मातगुंवा, हिम्मतपुरा, छिरावल, ईसानगर, बिहेटा, कुड़रा, रामटोरिया, मढि़यावुजग, बम्होरी, गुगवारा।

14-भोपाल क्षेत्र –
भोपाल नगर, सुहागपुर, विदिशा, रायसेन, होशंगाबाद।

15-इंदौर क्षेत्र –
इंदौर नगर, उज्जैन, देवास, रतलाम, खंडवा, झाबुआ, सोनकछ, शाजापुर, शिवपुरी।

16-छत्तीसगढ़ क्षेत्र –
रायपुर, बिलासपुर, धमतरी, जांजगीर, कटघोरा, चांपा, रायगढ़, अम्बिकापुर, दुर्ग, कोरिया, मनेंद्रगढ़, विश्रामपुर, चनबारीडाट, भिलाई।

17- अन्य क्षेत्र –
दिल्ली, गाजियाबाद, नोयडा, बैंगलोर, हैदराबाद, लखनऊ, ग्वालियर, अंगुल, बांदा, अहमदाबाद, मेरठ, फिरोजपुर, हरपालपुर, मोहाली एवं अन्य नगर।

SABHAR : asativaishyaparichay.in

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