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Wednesday, February 7, 2024

SATYAM SURANA A BRAVE INDIAN

#SATYAM SURANA A BRAVE INDIAN - WHO SAVED TRICOLOR FROM KHALISTANI

गोमूत्र छिड़के तिरंगे को उठाया और चूम लिया... खालिस्‍तानियों से झंडे की लाज बचाने वाले भारतीय ने बताई कहानी

who saved tricolour from khalistan supporter who poured cow urine at high commission of india in uk

लंदन: ब्रिटेन में 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती वाले दिन खालिस्तानी चरमपंथियों ने भारतीय दूतावास पर हमला किया था। इस दौरान उन्होंने तिरंगे का अपमान किया और उसमें आग लगा दी। इससे पहले प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन दल खालसा के नेता गुरुचरण सिंह ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर गाय का पेशाब डाला और उसे अपने पैरों तले रौंदने की कोशिश की। इस दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए बड़ी संख्या में ब्रिटिश पुलिस भी तैनात थी, लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया। इस घटना का विरोध करने के लिए एख भारतीय नौजवान खड़ा हुआ और उसने हिंसक खालिस्तानियों से न सिर्फ तिरंगे को छीना, बल्कि उसकी लाज भी बचाई। इस घटना का एक वीडियो भी काफी वायरल हुआ था। अब उस बहादुर लड़के ने उस दिन की घटना को विस्तार से बताया है।


खालिस्तानियों से तिरंगे को किसने छीना

खालिस्तानी चरमपंथियों के कब्जे से तिरंगे को छीनने वाले लड़के का नाम सत्यम सुराणा है। महाराष्ट्र के पुणे का रहने वाला यह लड़का लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स का छात्र है। यह वही संस्था है, जो हाल में ही छात्रसंघ चुनावों में एक अन्य भारतीय छात्र करण कटारिया के साथ भेदभाव को लेकर सुर्खियों में आया था। कटारिया को उनके बीजेपी समर्थक झुकाव के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अब बात करते हैं, सत्यम सुराणा का, जो इस घटना के मात्र 17 दिन पहले ही लंदन पहुंचे थे। लेकिन, उन्होंने भारतीय दूतावास के सामने जो वीरता दिखाई, उसकी चर्चा अब पूरे हिंदुस्तान में हो रही है।

सत्यम ने 2 अक्टूबर वाली घटना पर क्या कहा
फर्स्टपोस्ट को दिए इंटरव्यू में सत्यम सुराणा ने कबा कि मुझे सचमुच खुशी है कि लोगों को मुझ पर गर्व है। यह तिरंगा ही है जो हम सबको, पूरे भारत को एक साथ लाता है। मैंने बस अपना कर्तव्य निभाया। मैंने बस झंडा उठाया और चला गया। मुझे यहां जो मैसेज मिल रहे हैं और जो प्रतिक्रिया मिल रही है वह अभिभूत करने वाली है। मैं ऐसा करके बहुत खुश हूं। उन्होंने बताया कि उस दिन मुझे मैसेज मिला कि भारतीय उच्चायोग के बाहर किसी तरह का विरोध प्रदर्शन हो रहा है। बात यह थी कि भारतीय उच्चायोग ने एक छात्र पंजीकरण अभियान आयोजित किया था और मैं अपने कॉलेज में इस आउटरीच में उनकी मदद कर रहा था। मैं कॉलेज में लेक्चर खत्म होने के बाद वहां गया। मैंने लगभग 500 लोगों की भीड़ देखी।

तिरंगे का अपमान कर रहे थे खालिस्तानी

सत्यम ने बताया कि भारतीय दूतावास के सामने लगभग 50-16 लोग नकाब पहने हुए थे। खालिस्तानी हमारे प्रधानमंत्री और उच्चायुक्त दोरईस्वामी के पुतले का अपमान कर रहे थे। वे सिर्फ खालिस्तान समर्थक नारे लगा रहे थे और हिंदू विरोधी नफरत फैला रहे थे। उन्होंने कहा कि जब वे खालिस्तान के लिए चिल्ला रहे थे, तो यह स्पष्ट था कि वे एक विशेष पार्टी और विचारधारा को निशाना बना रहे थे। वे हिंदुत्व के खिलाफ हल्ला मचा रहे थे। पूरे विरोध प्रदर्शन के दौरान तिरंगे का अपमान किया जा रहा था। मैंने देखा कि लोगों ने हमारे राष्ट्रीय ध्वज को अपने पैरों में बांध रखा है। अपनी कारों में विरोध प्रदर्शन के लिए आने वाले लोगों ने तिरंगे को वाहनों की मिट्टी के फ्लैप पर बांध दिया था ताकि वह गंदा हो जाए और सड़क पर घसीटा जाए।

चुपचाप तिरंगा उठाया और पीछे लौट गया

उन्होंने बताया कि इस दौरान लगभग 8-10 लोगों का एक समूह था जो पुलिस घेरे के पीछे से चुपचाप दूतावास के सामने आ गया। उन्होंने तिरंगे को अपने पैरों तले रौंदा और बोतल में लाया हुआ गोमूत्र उस पर उड़ेल दिया। इसके बाद मैंने पीछे से झपट्टा मारा और उनसे तिरंगा खींच लिया। उस क्षण मुझे कोई डर नहीं लगा। मैं भूल गया कि वहां तीस चरमपंथियों की पूरी भीड़ थी। मुझे लगा कि यह तिरंगा नहीं, बल्कि मैं ही हूं जो उनके पैरों के नीचे वह अपमान सह रहा हूं।

पुलिस ने तिरंगे को सबूत के तौर पर कब्जे में लिया

सत्यम ने बताया कि मैंने इसकी बिल्कुल भी योजना नहीं बनाई थी। मुझे बस यह महसूस हुआ कि एक भारतीय होने के नाते यह मेरा कर्तव्य है कि मैं अपने झंडे को अपनी सुरक्षा करूं और उसे संरक्षण में लूं। सत्यम ने कहा कि मैंने तिरंगे के मोड़ा, उसे अपने माथे से लगाया और वहां से चला गया। पुलिस ने मुझे भी भागने को कहा। ये खालिस्तानी उस वक्त समझ नहीं पाए कि क्या हुआ था। झंडा अब सबूत के तौर पर पुलिस की हिरासत में है।

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