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Friday, March 14, 2025

HARAKHA CHAND NAHTA - हरख चंद नाहटा - एक प्रमुख समाज सेवी

HARAKHA CHAND NAHTA - हरख चंद नाहटा - एक प्रमुख समाज सेवी 



प्रख्यात समाजसेवी, उद्यमी, परोपकारी एवं सम्पूर्ण जैन समाज के शीर्ष नेता एवं भामाशाह श्री हरखचंद नाहटा कि स्मृति में भारत सरकार ने उनके 25वें स्मरणोत्सव पर 25 रुपए का स्मारक सिक्का जारी करने का निर्णय लिया था । इस सिक्के को जारी करने के संबध में 31 मार्च 2024 को भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने गजट अधिसूचना भी जारी कर दी थी  तथा 2 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी के दिन बीकानेर में इस 25 रुपए के स्मारक सिक्के का भव्य रूप में समारोहपूर्वक अनावरण होगा किया गया । हालांकि 25 रुपए का यह स्मारक सिक्का प्रचलन में नहीं आएगा, अनावरण के बाद भारत सरकार की मुम्बई टकसाल इस सिक्के को बिक्री करेगी।

इस सिक्के को जारी करवाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले प्रसिद्ध मुद्रा विशेषज्ञ बीकानेर के सुधीर लुणावत के अनुसार भारत सरकार की मुंबई टकसाल द्वारा बनाए गए इस 25 रुपए के सिक्के का कुल वजन 40 ग्राम है  जो शुद्ध चांदी का बना है । सिक्के की कुल गोलाई 44 मिलीमीटर है । सिक्के के अग्र भाग पर हरखचंद नाहटा के चित्र के ऊपरी परिधि पर हिंदी तथा निचली परिधि पर अंग्रेजी में ‘श्री हरखचंद नाहटा का 25वां स्मरणोत्सव’ लिखा है । चित्र के दाएं और बाएं उनके जीवनकाल को दर्शाने के लिए क्रमशः 1936-1999 लिखा होगा तथा चित्र के नीचे 25वें स्मरणोत्स का वर्ष 2024 अंकित है । वहीं सिक्के के दूसरी तरफ अशोक स्तंभ के प्रतीक चिन्ह के साथ मूल्यवर्ग 25 लिखा है , जिसके दाएं और बाएं हिंदी तथा अंग्रेजी में भारत लिखा है । जैन श्वेताम्बर तेरापंथी दिल्ली सभा के अध्यक्ष श्री सुखराज सेठिया एवं श्री ललित कुमार नाहटा ने बताया कि विराट व्यक्तित्व के धनी श्री हरखचंद नाहटा पर भारत सरकार द्वारा स्मारक सिक्का जारी करने के फैसले से समूचे जैन समाज में खुशी की लहर व्याप्त है। विदित हो स्मरणोत्सव पर जारी होने वाले सिक्के का अंकित मूल्य उस प्रसंग के अनुरूप रखा जाता है जबकि उसका वितरण अलग कीमत पर किया जाता है। यह सिक्का भी 25वीं पुण्यतिथि पर जारी किया जा रहा है इसलिए इस पर अंकित कीमत 25 रुपए है जबकि 99.9 प्रतिशत चांदी से बनने वाले इस सिक्के की अनुमानित कीमत करीब 6000 रुपये होगी।

सन् 1936 में बीकानेर के एक प्रतिष्ठित परिवार में जन्मे श्री हरखचंद नाहटा एक सामाजिक नेता और परोपकारी उद्यमी थे। जीवनभर देशभर की अनगिनत शीर्ष सामाजिक और धार्मिक संस्थानों के कार्यों में सक्रिय रूप से सम्मिलित होकर सामाजिक कल्याण, धर्म, कला-संस्कृति और जीवदया के प्रचार-प्रसार में व सार्वजनिक सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने अपने पैतृक व्यावसायिक क्षेत्रों में विविधता लायी और आदिवासियों के जीवन की विकट चुनौतियों का समाधान करने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा के धर्मनगर शहर से अगरतल्ला तक सड़क बनाने जैसी भागीरथी पहल की। श्री नाहटा प्रारंभ में कोलकाता, त्रिपुरा एवं असम को अपनी कर्मभूमि बनाया और सन् 1971 में दिल्ली आ गए।

कला और संस्कृति के प्रति उनके समर्पण को तब दुनिया ने देखा जब ‘टेक्नीशियन स्टूडियो, कोलकता’ तंगी और बदहाली के कारण जब बंद होने की कगार पर था एवं उसके कर्मियों तथा तकनीशियनों के अनुरोध पर श्री नाहटा ने इसमें कदम रखा तथा दृढ़ इच्छाशक्ति और अपने कुशल प्रबंधन द्वारा इसे पुनर्जीवित किया तथा इसे एक सफल उद्यम में रूपांतरित किया। नाहटा के प्रबंधन के बाद इस स्टूडियो में कई राष्ट्र पुरस्कार विजेता फिल्मों का निर्माण हुआ। उल्लेखनीय है कि उन्होंने सिने टेक्नीशियनों और कलाकारों को बिना पैसे लिए इसमें भागीदार बनाया और उनकी कला को प्रोत्साहित किया।

साहित्य, कला और संस्कृति में योगदान के लिए प्रसिद्ध बीकानेर के सुप्रतिष्ठित नाहटा परिवार के पास प्राचीन पांडुलिपियो और कलाकृतियों का देश का सबसे बड़ा व भव्य निजी संग्रह है। हरखचंद नाहटा के सम्मान में उनकी 10वीं पुण्यतिथि पर भारत सरकार के डाक विभाग द्वारा वर्ष 1999 में एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया जा चुका है। बीकानेर एवं दिल्ली में एक-एक रोड का नाम हरकचंद नाहटा के नाम पर किया गया है। इसके अलावा नाहटा की तीन मूर्तियां भी लगी हुई है जो दक्षिणी दिल्ली के भाटी विलेज, बिहार के सीतामढ़ी और झारखण्ड में लगी हुई है।

प्रारंभिक जीवन

उनका जन्म 18 जुलाई 1936 को राजस्थान के बीकानेर में हुआ था । उनके चाचा अगर चंद नाहटा और बड़े भाई भंवर लाल नाहटा प्राकृत साहित्य , जैन विहित साहित्य और शास्त्रों के जाने-माने विद्वान थे। परिवार के पास बीकानेर के अभय जैन ग्रंथागार में 85,000 से अधिक पुस्तकों, पांडुलिपियों, कलाकृतियों आदि का निजी संग्रह है। उनके परिवार की असम , मेघालय , पश्चिम बंगाल , कलकत्ता , त्रिपुरा और पूर्ववर्ती पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) में व्यापार और वितरण के क्षेत्र में 175 से अधिक वर्षों से व्यापारिक उपस्थिति है।

उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा बीकानेर और कॉलेज की शिक्षा कलकत्ता में पूरी की।

संक्षिप्त बीमारी के बाद 21 फरवरी 1999 को नई दिल्ली में उनका निधन हो गया।

व्यवसाय और वाणिज्य

त्रिपुरा टाउन आउट-एजेंसी

नाहटा त्रिपुरा के दुर्गम और निर्जन इलाकों में सड़क परिवहन शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे। त्रिपुरा में सबसे बड़ी रेलवे आउट एजेंसी (त्रिपुरा टाउन आउट एजेंसी) को संभालते हुए और भारी लागत और जोखिम के साथ सड़क परिवहन का एक बड़ा नेटवर्क स्थापित करते हुए, उन्होंने आदिवासी लोगों और त्रिपुरा राज्य के लिए आर्थिक लाभ लाने के लिए आर्थिक विकास और दो-तरफ़ा यातायात शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

तकनीशियनों का स्टूडियो

नाहटा ने अपने टेक्नीशियन स्टूडियो के माध्यम से पूर्वी भारत में सिनेमा के विकास में बहुत योगदान दिया। कलकत्ता, जिसके साथ सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक और बासु भट्टाचार्य जैसे कई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित निर्देशक जुड़े थे। बाद में, वे एक फिल्म फाइनेंसर और रियल एस्टेट एजेंट बन गए। उन्होंने अपनी सलाह, मदद और संरक्षण के साथ फिल्मों और प्रदर्शन कला के कई उभरते कलाकारों को प्रोत्साहित किया। वे कला और साहित्य के पारखी थे और गुप्त रूप से कई नवोदित कलाकारों, कवियों और लेखकों की मदद करते थे। उन्होंने लेखकों की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए अपनी लागत पर कई किताबें प्रकाशित कीं, जिनमें एक हिंदी मासिक पत्रिका भी शामिल है।

व्यापार और उद्योग में उनके बहुमुखी योगदान के लिए, नाहटा को भारत के उपराष्ट्रपति और दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा पुरस्कारों से सम्मानित किया गया ।

सामाजिक योगदान

वे एक प्रसिद्ध सामाजिक नेता और परोपकारी व्यक्ति थे , जो 60 से अधिक सामाजिक-धार्मिक संगठनों और ट्रस्टों से जुड़े थे, जैसे हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया , शांति मंदिर-बिथरी, प्राकृत भारती, ऋषभदेव फाउंडेशन, वीरायतन, राजस्थान भारती, श्री अंबिका निकेतन ट्रस्ट, अहिंसा इंटरनेशनल, श्री जैन महासभा, भारत जैन महामंडल, विश्व जैन परिषद और कई अन्य विभिन्न पदों पर। (1990 से) वे अखिल भारतीय श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ महासंघ के अध्यक्ष थे, जो इस संप्रदाय के हजारों जैनियों का सर्वोच्च राष्ट्रीय प्रतिनिधि निकाय है।

स्मरणोत्सव

1 मार्च 2007 को पहलवान, अभिनेता और राज्य सभा के सदस्य दारा सिंह ने हरख चंद नाहटा मार्ग का उद्घाटन किया, जो दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के तीन गांवों नानाखेड़ी, बदुसराय और राघोपुर को आपस में जोड़ता है । नाहटा का परिवार उस इलाके में वेस्टिन पार्क के नाम से एक फार्महाउस योजना विकसित करने की प्रक्रिया में है।

31 मार्च 2007 को महावीर जयंती के अवसर पर आयोजित एक समारोह में , अभिनेत्री, नर्तकी और राज्यसभा सदस्य हेमा मालिनी ने महाबलीपुरम तीर्थ, गांव भट्टी, नई दिल्ली में नाहटा की एक प्रतिमा का अनावरण किया। समाज और भारत के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा के सम्मान में 28 फरवरी 2009 को मुंबई में महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री एससी जमीर द्वारा श्री हरख चंद नाहटा पर एक स्मारक 5 रुपये का टिकट जारी किया गया।

28 सितंबर 2013 को, राष्ट्रीय राजमार्ग 89 को रानी बाज़ार औद्योगिक क्षेत्र से जोड़ने वाली 100 फीट चौड़ी, 2 किमी लंबी प्रमुख सड़क का नाम "हरख चंद नाहटा मार्ग" रखा गया, ताकि उन्हें और उनके योगदान को सम्मानित किया जा सके। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता बीकानेर के महापौर श्री भवानी शंकर शर्मा ने उप महापौर श्रीमती शकीला बानू, श्री जनार्दन काला, शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री चंद्र प्रकाश गहलोत, ब्लॉक कांग्रेस बीकानेर के अध्यक्ष श्री कन्हैया लाल बोथरा की उपस्थिति में किया।

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