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Sunday, March 9, 2025

Success Story of the first indian industrialist and businessman G D birla

Success Story of the first indian industrialist and businessman G D birla

राजपुताना में जन्म, मुंबई में धंधा नहीं जमा, कलकत्ता गए और हो गया कमाल

Success Story of Ghanshyam Das Birla: जी.डी. बिड़ला की सफलता की कहानी बहुत प्रेरणादायक है। उनका जन्म राजस्थान के पिलानी में हुआ था। कारोबार के सिलसिले में मुंबई गए। लेकिन वहां जमा नहीं। फिर वह भारत की तत्कालीन राजधानी कलकत्ता की तरफ मुड़ गए। वहां उन्होंने अपनी उद्यमशीलता की लगन, समर्पण और कड़ी मेहनत से अपने कारोबार को आकार दिया। साथ ही, उन्होंने विभिन्न संस्थानों का निर्माण करके देश के शिक्षा क्षेत्र को भी आकार देने में मदद की। बिड़ला ने भारत की स्वतंत्रता का समर्थन किया और कई फंडों में बड़ी राशि दान की।


Success Story of G. D. Birla; जी.डी. बिड़ला, यानी घनश्याम दास बिड़ला। आपने कभी न कभी जरूर नाम सुना होगा। वह पहले भारतीय उद्योगपति रहे हैं। उन्होंने बिड़ला ग्रुप की नींव रखी और इसे कई क्षेत्रों में फैलाया। ब्रिटिश राज के दौरान, बिड़ला को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्योंकि अंग्रेज उनका व्यवसाय बंद करवाना चाहते थे। लेकिन अपने उद्यमशीलता के जज्बे और लगन से, उन्होंने न सिर्फ़ अपना व्यवसाय बचाए रखा, बल्कि एक विशाल साम्राज्य भी खड़ा किया। भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनाने में बिड़ला की बहुत बड़ी भूमिका रही। आइए, आज के सक्सेस स्टोरी की श्रृंखला में हम जानते हैं जी.डी. बिड़ला की प्रेरणादायक सफलता की कहानी।

राजपुताना में जन्म


घनश्याम दास बिड़ला का जन्म 10 अप्रैल 1894 को पिलानी, राजपुताना (अब के राजस्थान) में हुआ था। अपने पारिवारिक व्यवसाय को विरासत में पाने के बाद, उन्होंने इसे विविध क्षेत्रों में फैलाने का फैसला किया। G.D. बिड़ला पारिवारिक ट्रेडिंग बिजनेस को मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में ले जाना चाहते थे। इसलिए, वे पिलानी से मुंबई गए। लेकिन वहां उनका धंधा जमा नहीं। इसके बाद वह कलकत्ता चले गए।

कलकत्ते में चमकी किस्मत


जिस समय वह कलकत्ता गए थे, वह शहर भारत की राजधानी थी। उस समय बंगाल (बंगलादेश समेत) दुनिया का सबसे बड़ा पटसन (Jute) उत्पादक क्षेत्र था। उन्होंने 1911 में कलकत्ता में GM Birla Company की स्थापना की जो जूट की ब्रोकिंग करती थी। कुछ साल बाद ही, 1914 में प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत हो गई। उस समय जूट की बोरी (Gunny bags) की डिमांड खूब बढ़ी थी। बस उन्होंने यही बनवा कर सप्लाई शुरू कर दी। इसकी बदौलत ही उन्होंने महज कुछ साल में अपने कारोबार को 2 मिलियन डॉलर से 8 मिलियन डॉलर तक पहुंचा दिया।

फैक्ट्री लगाने वाले पहले भारतीय बने


पैसा आया तो साल 1918 में, जीडी बिड़ला ने बिड़ला जूट मिल्स की स्थापना की। उस समय वह पहले भारतीय थे, जिनकी अपनी जूट की फैक्ट्री या जूट मिल था। हालांकि, तब कई यूरोपीय और ब्रिटिश व्यापारियों ने मिल के निर्माण का विरोध किया था। वह नहीं चाहते थे कि कोई भारतीय मिल खोल कर उनके साथ बैठने की हिम्मत करे। लेकिन वह अपने कौशल से यूरोपियनों की मंशा सफल नहीं होने दी।

फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा


एक बार फैक्ट्री लगा ली तो इसके बाद तो उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। साल 1919 में, उन्हें 50 लाख रुपये का निवेश मिला और बिड़ला ब्रदर्स लिमिटेड की स्थापना हुई। फिर अगले कुछ साल में कुछ कॉटन मिल का अधिग्रहण किया। इसके बाद कुछ चीनी मिलें शुरू की। 1943 में कोलकाता में हिन्दुस्तान मोटर्स की स्थापना हुई जहां एम्बेसेडर कार बनती थी।

आजादी के बाद भी नहीं रुका सिलसिला


देश की आजादी के बाद 1947 में उन्होंने ग्वालियर रेयॉन सिल्क मैन्यूफैक्चरिंग Grasim की स्थापना की, जिसे पहले लोग ग्वालियर सूटिंग के नाम से जानते थे। साल 1958 में उन्होंने हिन्दुस्तान अल्यूमिनियम कंपनी Hindalco की स्थापना की। वह एक सफल व्यापारी होने के अलावा, राजनीतिक मामलों में भी सक्रिय थे। 1926 में, वे ब्रिटिश भारत की केंद्रीय विधान सभा के लिए चुने गए। बिड़ला महात्मा गांधी द्वारा स्थापित हरिजन सेवक संघ के संस्थापक अध्यक्ष भी थे।

एक बैंक भी बनाया


साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, जी.डी. बिड़ला ने भारतीय पूंजी से एक वाणिज्यिक बैंक बनाने का सुझाव दिया। इसके परिणामस्वरूप यूनाइटेड कमर्शियल बैंक की स्थापना हुई। इसका मुख्यालय कोलकाता में बना। यही बैंक आज यूको बैंक के नाम से जाना जाता है, जिसे सरकार ने अधिगृहित कर लिया है। यह आज देश के प्रमुख और सबसे पुराने वाणिज्यिक बैंकों में से एक है।

शिक्षा क्षेत्र में भी आगे


अपने गृहनगर पिलानी के विकास के लिए, जी.डी. बिड़ला ने 1943 में बिड़ला इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की, जिसे अब बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (BITS) पिलानी के नाम से जाना जाता है। आज, यह भारत के शीर्ष और सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों में से एक है। इसके अलावा, उन्होंने भिवानी में टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्सटाइल्स एंड साइंस की भी स्थापना की। उन्होंने पिलानी में कई शैक्षणिक संस्थानों का निर्माण करके इसे शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।

पद्म विभूषण से हुए सम्मानित


भारत सरकार ने जी.डी. बिड़ला को भारत की अर्थव्यवस्था और विकास में उनके योगदान के लिए 1957 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया। बिड़ला ग्रुप के वर्तमान अध्यक्ष, कुमारमंगलम बिड़ला, उनके परपोते हैं। 11 जून 1983 को, 83 वर्ष की आयु में जी.डी. बिड़ला का निधन हो गया था। लेकिन उनकी स्मृति आज भी जीवित है।

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