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Monday, March 17, 2025

VAISHYA HERITAGE - बहुत रोचक है सहरानपुर के गांव कोटा का इतिहास...

VAISHYA HERITAGE - बहुत रोचक है सहरानपुर के गांव कोटा का इतिहास...

खंडहर में तब्दील हुईं कोठियां: लाला चरणदास ने बसाया था कोटा, कभी था वैभव का प्रतीक....
साधु ने दिया था सम्पन्नता का आशीर्वाद


सहारनपुर जनपद के मुजफ्फरनगर स्टेट हाईवे पर बसे गांव कोटा की स्थापना करीब 700 वर्ष पूर्व लाला चरणदास ने की थी। मिर्च के कारोबारी चरणदास का परिवार मुफलिसी में राजस्थान के कोटा शहर से रोजी-रोटी की तलाश में यहां आया था। इसी कारण गांव का नाम कोटा पड़ा। बताते हैं कि बुरे वक्त में कोई साधु रोटी मांगने लाला के घर पहुंचा तो उस वक्त घर में खाने को कुछ नहीं था।लाला की माता ने पड़ोस से मांग कर उन्हें रोटी दी थी। जिस पर साधु ने संपन्नता का आशीर्वाद दिया। जो इतना फलीभूत हुआ कि कुछ ही सालों में लाला चरणदास संपन्नता के प्रतीक बन गए। सैकड़ों गांवों में जमींदारा होने के साथ ही अदालत तक उनके यहां लगती थी। उन्होंने अपने लिए महलनुमा कोठियां बनवाई। भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोठी से तालाब तक महिलाओं के स्नान करने जाने के लिए बाकायदा सुरंग तक बनाई गई थी जिसका अस्तित्व आज भी है।वर्तमान में ज्यादातर कोठियां खंडहर में तब्दील हो गईं हैं। कुछ कोठियां सालों से बंद पड़ीं हैं। ग्रामीणों का मानना है कि इनमें अभी भी अकूत धन संपदा छिपी हुई है। लक्ष्मी नारायण एवं शिव मंदिर का निर्माण भी कराया।

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