#VAISHYA MAHAN - वैश्य महान (लाला जी की दूकान)
हमारा वैश्य समाज, जी हां हमारा वैश्य समाज, जो कि देश और धर्म के लिए निस्वार्थ सेवा में लगा रहता हैं. लाला जी की दूकान गाँव, कसबे या नगर में एक ऐसा स्थान होता हैं जंहा से आप सामान आदि खरीदते हो लेकिन इस के अलावा उस दूकान से देश, धर्म, नगर आदि में क्या चल रहा हैं और अड़ोसियो पड़ोसियों के दुःख दर्द के बारे में पता चल जाता हैं. लाला जी की दूकान लोकल का न्यूज़ चेंनेल होता हैं.
देश और धर्म और दान करने के लिए लाला जी सबसे आगे रहते हैं. जिसे भी धार्मिक या फिर सामाजिक कार्य के लिए चन्दा लेना होता हैं लाला जी हर समय सज्ज रहते हैं. अंग्रेजो के समय में कोई भी क्रांतिकारी, कांग्रेसी, संघी कोई भी होता था वह सबसे पहले लालाजी के यंहा आता था. लाला जी उसके रहने खाने और सुरक्षा का प्रबंध रखते थे. और यथोचित धन धान्य से भी संहायता करते थे. कोई भी क्रांतिकारी आता था तो लाला जी उसके छुपने का प्रबंध करते थे. अंग्रेजो से बचाकर रखते थे और अंग्रेजो को बरगला कर रखते थे. उसी समय वैश्य समाज ने समाज को उद्वेलित करने के लिए समाचार पत्रों का प्रकाशन आरम्भ किया. धर्म की अलख जगाने के लिए गीता प्रेस जैसी संस्थाओं की स्थापना की.
आज़ादी के बाद यही काम लालाजी RSS के स्वयंसेवको के लिए करते थे. अपनी दूकान के ऊपर संघ का कार्यालय स्थापित करते थे. उसका कोई भी किराया आदि नहीं लेते थे. कोई भी संघ का कार्यावाह आता था तो उसके रहने खाने की व्यवस्था लाला जी ही करते थे. स्वयं प्रातः ही संघ की शाखाए लगाते थे. और लोगो को संघ से जोड़ते थे. ये लोग कभी कोई पद भी नहीं लेते थे नाही अपने परिवार के लोगो को पद लेने देते थे. ऐसा ही निस्वार्थ सेवा वैश्य सेठ लोगो की होती थी. चाहे गौरक्षा आन्दोलन हो, चाहे रामजन्म भूमि आन्दोलन हो ऐसे ही लोगो ने दिन रात मेहनत और प्रचार करके लोगो को जोड़ा. और आन्दोलन को आगे बढाया. आज भाजपा जो भी हैं ऐसे ही व्यक्तियों के त्याग और बलिदान से हैं.
वैश्य समाज हमेशा से ही दान धर्म और शिक्षा के लिए अलख जगाये हुए हैं. गाँव गाँव नगर नगर इन लोगो ने शिक्षण संस्थान बनाए. धर्मशालाए बनवाई, मंदिर बनवाये और इनका जीर्णोउद्धार किया. पुरे देश में हर गाँव कसबे नगर तीर्थ स्थानों में वैश्य समाज की बनाए धर्मशालाए, प्याऊ, तालाब, बावड़ी, मंदिर, स्कूल, कालेज मिल जायेगे.
हमें गर्व हैं ऐसे समाज पर जिसने हमेशा निस्वार्थ भाव से देश की सवा तन मन धन से की हैं. जय वैश्य, वन्देमातरम, जय श्री राम
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