HIMANGSHU VAISH - IIT GOLDMEDALIST
IIT के गोल्ड मेडलिस्ट की कहानी, पढ़ाई के बाद नहीं की नौकरी, जुनून में कर दिया ये काम नहीं चुनी.
ये कहानी है आईआईटी दिल्ली (Indian Institute Of Technology Delhi, IIT Delhi) से पढ़ाई करने वाले हिमांग्शु वैश (Himangshu Vaish) की. उनकी प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आईआईटी में भी हिमांग्शु गोल्ड मेडलिस्ट रहे. हिमांग्शु ने आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से बीटेक किया. आम स्टूडेंट की तरह हिमांग्शु पर भी नौकरी करने का दबाव था. उनके परिवार में उनके पिताजी सरकारी नौकरी में थे. वह भी पेशे से इंजीनियर थे. हिमांग्शु के दादाजी डॉक्टर थे. ऐसे में परिवार भी चाहता था कि हिमांग्शु भी सरकारी या प्राइवेट नौकरी करें, लेकिन हिमांग्शु थे कि उनको नौकरी की बजाय कुछ अपना करने का मन था.
खोला डाटा प्रोसेसिंग सेंटर
वर्ष 1976 का वह दौर था जब हिमांग्शु ने आईआईटी की पढ़ाई पूरी करने के बाद लाखों के पैकेज की नौकरी की परवाह छोड़कर अपना काम शुरू किया. आईआईटी करने के बाद कई नौकरियों के ऑफर को छोड़ना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन हिमांग्शु चाहते थे कि उन्हें नौकरी लेने वाला नहीं, नौकरी देने वाला बनना है. इसी जज्बे ने हिमांग्शु को हौसला दिया. हिमांग्शु ने इंटरनेशनल डाटा प्रोसेसिंग सेंटर खोला, हालांकि यह तो बस एक शुरुआत थी, क्योंकि हिमांग्शु की अनोखी सोच कुछ इससे भी बड़ा करने वाली थी.
दूसरी कंपनी शुरू की
हिमांग्शु अक्सर बिजली की कमी से होने वाली समस्याओं से परेशान रहते थे, क्योंकि उस समय बिजली की अच्छी सुविधाएं नहीं थीं. हिमांग्शु कहते हैं कि बार-बार बिजली कटौती के कारण अक्सर काम प्रभावित होता था. ऐसे में वह इन्वर्टर के बिजनेस में उतरे. हिमांगशु ने 1986 में इंस्टापॉवर के नाम से कंपनी बनाई. इस कंपनी ने छोटे कंप्यूटर, ऑफिस और घरों में इस्तेमाल के लिए इनवर्टर और अनइंटरप्टिबल पावर सप्लाई सिस्टम (यूपीएस) के क्षेत्र में काम शुरू किया, जिसमें उन्हें काफी सफलता मिली. बाद में उन्होंने लाइटिंग प्रॉडक्ट्स सीएफएल बल्ब और लाइट्स भी मार्केट में लॉन्च किए. हिमांग्शु के साथ उनके बेटे अभिजीत और सत्यजीत भी बिजनेस में जुट गए. अभिजीत ने अमेरिका की पर्डयू यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है, वहीं दूसरा बेटा सत्यजीत बिजनेस मैनेजमेंट में ग्रेजुएट है.
रोशनी के बिजनेस में छा गए
हिमांगशु की कंपनी के पास 70 पेटेंट्स हैं. उनकी एलईडी लाइटें केवल रोशनी ही नहीं बिखेरती, बल्कि लोगों की जरूरत, मूड और माहौल के अनुसार रंग बदलती हैं. हिमांग्शु कहते हैं कि उन्होंने एलईडी लाइटों ने सिग्नेचर ब्रिज और सूर्य मंदिर को तक रोशन किया. इसके अलावा अयोध्या एयरपोर्ट पर भी उनके कंपनी की एलईडी लाइटें ही रंग बिरंगी रोशनी बिखेर रही हैं.
क्यों नहीं की नौकरी
हिमांग्शु करियर को लेकर कहते हैं कि इंसान की जिस चीज में रूचि हो, वही करना चाहिए. दबाव में आकर आपको करियर के फैसले नहीं लेने चाहिए. सभी पढ़ने लिखने वाले बच्चों को उनकी सलाह है कि करियर का मतलब पढ़ लिखकर सिर्फ नौकरी करना नहीं होता है, बल्कि आप कुछ अपना करके दूसरों को नौकरी भी दे सकते हैं. हिमांग्शु बताते हैं कि पढ़ाई के बाद उन्होंने कुछ नया करने की कोशिश की जिससे बहुतों का जीवन रोशन हो रहा है. उनकी कंपनी के प्रॉडक्ट्स को ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के अलावा अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य पूर्व और दक्षिण अमेरिका के 30 से अधिक देशों में निर्यात किए जा रहे हैं, जिससे भारत का नाम भी रौशन हो रहा है.
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