BARNWAL VAISHYA - बरनवाल वैश्य जाति की उत्पत्ति, इतिहास एवं परिचय
बरनवाल (बर्नवाल, वर्णवाल) एक वैश्य समुदाय है, जिनकी उत्त्पत्ति महाराजा अहिबरन से है। बरनवाल अथवा बर्नवाल समाज के पितामह अहिबरन बुलंदशहर के राजा थे। बरनवाल अधिकतर उत्तर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल तथा पडोसी देश नेपाल में पाए जाते हैं।
बरनवाल जाति का इतिहास
श्री महालक्ष्मी व्रत कथानुसार अयोध्या के सूर्यवंशी क्षत्रिय राजा मान्धाता के दो पुत्र थे- एक का नाम गुनाधि तथा दुसरे का नाम मोहन था। मोहन के वंशज वल्लभ और उनके पुत्र अग्रसेन हुए। महाराजा अग्रसेन अग्रवाल व अग्रहरि वैश्य वंश की शुरुआत की। वही दुसरे पुत्र गुनाधि के पुत्र परामल और उनके पौत्र अहिबरन हुए। जिन्होंने बरनवाल समुदाय की नींव रखी।
बरनवाल समाज के पितामह महाराजा अहिबरन
बर्नवाल समुदाय का इतिहास उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से शुरू होता है। बुलंदशहर के राजा थे अहिबरन जिन्होंने 'बरन' नाम के एक किले का निर्माण किया, जो उस वक्त बुलंदशहर की राजधानी बनी। वर्तमान में भी बुलंदशहर में बलाईकोट या ऊपरकोट नामक एक स्थान है, जिसे महाराजा अहिबरन का किला बताया जाता है। बरन-साम्राज्य सैकड़ों वर्षो तक व्यापार तथा कला को संयोजित किया। इन्हीं कारणों से राजा अहिबरन ने व्यापार को प्रोत्साहित करने और अपनी प्रजा की भलाई के लिए वैश्य-धर्म को धारण किया।
वर्तमान में बुलंदशहर के वीरपुर, भटोरा, ग़ालिबपुर गाँव में हुए उत्खनन के दौरान बरन-साम्राज्य के कुछ मूर्तियाँ व सिक्के प्राप्त हुए है जो लखनऊ के राजकीय संग्रहालय में संरखित है।
बरन साम्राज्य के पतन के बाद बरनवाल समाज देश के भिन्न-भिन्न स्थानों में विभिन्न उपनामों यथा गोयल, शाह, मोदी, जायसवाल आदि से बसने लगे।
अहिबरन जयंती मनाता बरनवाल समाज
एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के जर्नल के वॉल्यूम 52 भाग -1-2 के मुताबित बरन साम्राज्य अपने समय में काफी समृद्ध व संपन्न राज्य हुआ करता था। उन्नीसवीं सदी के दस्तावेजों के मुताबित इस साम्राज्य ने पाली में लिखे तांबे और चाँदी के मुद्राओ को प्रचलन में थे।
अंग्रेज शासनकाल में कुछ बरनवाल राय बहादुर के उप नाम से देश के कई हिस्से में जमींदारी का काम देखा करते थे।
बरनवाल जाति के गोत्र एवं उपनाम
बरनवाल में 36 गोत्र हैं। ये गर्ग, वत्सील, गोयल, गोहिल, क्रॉ, देवल, कश्यप, वत्स, अत्री, वामदेव, कपिल, गल्ब, सिंहल, अरन्या, काशील, उपमैनु, यामिनी, पराशर, कौशिक, मौना, कट्यापन, कौंडियाल, पुलिश, भृगु, सरव, अंगिरा, कृष्णाभी, उध्लालक, ऐश्वरान, भारद्वाज, संक्रित, मुदगल, यमदग्रि, छ्यवन, वेदप्रामिटी और सांस्कृत्यायन आदि गोत्र है।
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