VAISHYA SHIVGUPT AND PARIGUPT - शिवगुप्त एवं परिगुप्त
सातवाहन कालीन अभिलेखों से पता चलता है कि प्रशासन की दृष्टि से राज्य अनेक 'आहारों' अथवा "राष्ट्रों" में विभक्त था। आहारों के शासक अमात्य कहलाते थे। सातवाहन राजा बड़े-बड़े पदों पर शायद व्यापारियों को रखते थे। उनके अमात्यों में शिवगुप्त एवं परिगुप्त का उल्लेख प्राप्त होता है। रामशरण शर्मा के अनुसार ये वैश्य थे। परिगुप्त गौतमीपुत्र सातकर्णि के अधीन अमात्य पद पर था। अमात्य सातवाहन राजव्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग थे। इन्हें वही स्थान प्राप्त था जो अशोक की शासन व्यवस्था में महामात्रों को और गुप्तों की राजव्यवस्था में कुमारामात्य को था। शिवगुप्त और परिगुप्त एक ही परिवार के थे अथवा अलग अलग परिवार के थे, इस सम्बन्ध में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि सातवाहन काल में पद वंशानुगत नहीं था।
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