VANIK PRABHAVATI GUPT - प्रभावती गुप्ता
प्रभावती गुप्ता महान वैश्य गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त 'विक्रमादित्य' की पुत्री थीं। ये भारत की उन महिलाओं में से एक हैं, जिन्होंने अपने पुत्र के अल्पवयस्कता के कारन राज्य के शासनकार्य को सफलता पूर्वक चलाया। इनका विवाह वाकाटक राजवंश के रुद्रसेन द्वितीय के साथ हुआ था। गुप्त राजकुल में उत्पन्न इस कन्या के भाग्य में सम्भवतः सुख नहीं बदा था। विवाह के कुछ वर्षों के उपरान्त इसके पति की मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु के समय (390 ई०) इसकी आयु 25 वर्ष थी तथा इसके प्रथम पुत्र दिवाकर सेन की आयु 5 वर्ष और द्वितीय पुत्र की आयु 2 वर्ष थी। प्रभावती गुप्ता के दुःखों का अभी अन्त नहीं हुआ था। प्रकृति को शायद यह स्वीकार न था कि उसे हंसता देख सके। शासन के तेरहवें वर्ष में दिवाकर की मृत्यु हो गयी। अतः उसने अपने द्वितीय पुत्र दामोदर को सिंहासन पर बैठाया और सम्भवतः 'पांच-छः वर्ष तक उसकी संरक्षिका के रूप में कार्य किया। इस प्रकार प्रभावती गुप्ता भारतीय महिलाओं की प्रथम पंक्ति में खड़ी होने की अधिकारी हैं, जिन्होंने पति के न रहने पर भी राज्यकार्य का योग्यता व कुशलता पूर्वक संचालन किया था।
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