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Wednesday, February 12, 2025

VAISHYA SENAPATI TEJPAL AND VASTUPAL

VAISHYA SENAPATI TEJPAL AND VASTUPAL
 
ये दोनों भाई वीर योद्धा तथा कुशल सेनापति होने के साथ चालुक्यों के सामन्नत थे। आबू देलवाड़ा प्रशस्ति से पता चलता है कि तेजपाल भीमदेव द्वितीय का सामन्त था। 173 रणभूमि में शत्रु पक्ष की ओर से वस्तुपाल की यह कह कर हंसी उड़ाई गई कि युद्ध तो केवल क्षत्रियों के लिये है वणिकों के लिये नहीं, उनका कार्य तो केवल वस्तुओं को तौलना अथवा व्यापार करना है। इस आरोप को वस्तुपाल ने मिथ्या कहते हुये जिस प्रकार का उत्तर दिया वह काफी रोचक है। वस्तुपाल चालुक्य नरेश वीरधवल का महामात्य था। रणभूमि में शत्रु शंख के दूत से वस्तुपाल के वार्तालाप तथा युद्ध का रोचक विवरण बसन्त विलास महाकाव्य से प्राप्त होता है। शंख के दूत द्वारा यह कहे जाने पर कि शंख के आने से पूर्व तुम भाग जाओ, क्योंकि एक वणिक के भागने पर कोई लोक निन्दा नहीं होगी, वस्तुपाल स्वजातीय गौरव को व्यक्त करते हुये क्रोधपूर्वक कहता है-


क्षत्रियाः समरकेलिरहस्यं जानन्ते न वणिजो भ्रम एषः


अम्बडो वणिगपिप्रछने कि मल्लिकार्जुन नृपं न जघान।


दूत ! रेवणिगहं रणहट्टे विभूतोऽसितुलया कलयामि।


मौलिभाण्ड पटलानि रिपुणां स्वर्गवेतन मथो वितरामि ॥


- बसन्तविलास, 5/32


अर्थात क्षत्रिय ही युद्धक्रीड़ा के रहस्य को जानते हैं वणिक नहीं भ्रम है, यह सत्य नहीं है। क्या अम्बड नामक वणिक ने युद्ध में मल्लिकार्जुन का वध नहीं किया था? हे दूत ! मैं ऐसा वणिक हूं जो युद्ध रूपी बाजार में तलवार रूपी तुला को तौलने के लिये प्रसिद्ध हूं। शत्रुओं के मस्तक रूपी बर्तनों के परिणाम में मैं स्वर्ग में वेतन वितरित करता हूं। वस्तुतः इस काल में हमें अनेक वैश्य सेनापतियों का उल्लेख प्राप्त होता है जिन्होंने रणभूमि में अपूर्व वीरता का परिचय देते हुये इस धारणा को निर्मूल सिद्ध किया कि युद्ध क्रीड़ा केवल क्षत्रियों के लिये ही है। बसन्तविलास में प्राप्त विवरण से भी इसी बात की पुष्टि होती है।

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