VAISHYA SENAPATI BAHAD - सेनापति बहड़
यह प्रधानमंत्री उदयन का पुत्र तथा एक प्रसिद्ध सेनापति एवं परम शूरवीर योद्धा था। इसकी शूरता का एक विशिष्ट अंग यह था कि इसकी दहाड़ से हाथी विचलित हो जाते थे। यहां तक कि चालुक्य नरेश कुमार पाल का निजी हाथी 'कलहपंचानन' भी इसकी दहाड़ से विचलित हो उठता था। द्वाश्रय काव्य से पता चलता है कि बहड़ ने कुमारपाल के अधीनत्व और आदेशों पर कार्य करना अस्वीकार कर दिया था और कुमारपाल की सेवा में न रहकर नागोर के राजा 'अण' या 'अणक' (अरुणो राज) के यहां चला गया। इसमें कोई सन्देह नहीं कि वहड़ एक परम शूरवीर योद्धा था। इसकी वीरता का अनुमान हम इसी बात से लगा सकते हैं कि कुमारपाल तथा अरुणोराज के बीच होने वाले युद्ध में अरुणोराज की सेना में सेनापति बहड़ भी हाथी पर स्वार था, जिसकी दहाड़ से हाथी भी आतंकित हो जाते थे। फलतः कुमार पाल ने बहड़ की दहाड़ के भय से अपने वस्त्रों से अपने हाथी के दोनों कानों को बांधने के उपरान्त ही रणभूमि में अणक के विरुद्ध अग्रसर हुआ।
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