VAISHYA SAMANT SARVDUTT
493-94 ईसवी के एक गुप्तकालीन अभिलेख में शर्वदत्त नामक दीक्षित गृहस्थ का उल्लेख आया है। यह उपरिक (प्रान्तीय शासक) और दूतक (अनुदान निष्पादक) का कार्य करता था। 165 रामशरण शर्मा का विचार है कि यह गुप्त राजाओ के सामन्त थे। रत्नदेव के राज्यकाल में गंग नृपति चोडगंग द्वारा कलचुरि राज्य पर आक्रमण किया गया। चोडगंग के राज्य की तुलना में रत्नदेव का राज्य बहुत ही छोटा पड़ता था। इसके अतिरिक्त चोडगंग महाप्रतापी के रूप में विख्यात था। ऐसे बलशाली राजा का सामना करना टेढ़ी खीर थी। लेकिन वैश्य सामन्त वल्लभराज के पराक्रम के कारण चोडगंग जैसे प्रतापी राजा को पराजय का मुंह देखना पड़ा। चोडगंग को बड़ी बदनामी के साथ भागना पड़ा। 168 कलचुरियों के वैश्य सामन्त वल्लभराज के अनेक लेखों में उसे गौड़ देश में मिलो विजय का वर्णन आया है। 169 उसके शौर्य व पराक्रम के कारण कलचुरि रानी लाच्छल्लदेवी उसे अपने पुत्र के समान मानती थीं। 170 अभिलेखों में यह भी उल्लिखित है कि वल्लभराजदेव ने अनेक देवालय का निर्माण करवाया। उसके द्वारा दिये गये दान का भी उल्लेख अभिलेखों में हुआ है।
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