Pages

Wednesday, March 27, 2024

KIRTI STAMBH CHITTODGARH - A VAISHYA HERITAGE

#KIRTI STAMBH CHITTODGARH - A VAISHYA HERITAGE


चित्तौड़गढ़ स्थित कीर्ति स्तम्भ

कीर्ति स्तम्भ एक स्तम्भ या मीनार है जो राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित है। इसे भगेरवाल जैन वैश्य व्यापारी जीजाजी कथोड़ ने तेरहवीं शताब्दी में बनवाया था। यह 122 फिट ऊँची है। यह 7 मंजिला है। इसमें 157 सीढ़ी है। इसमें जैन पन्थ से सम्बन्धित चित्र भरे पड़े हैं।

कीर्ति शब्द का अर्थ प्राचीन भारतीय संस्कृत साहित्य में यश के अतिरिक्त निर्माण कार्य के लिए भी हुआ है। अमरकोश के टीकाकार भानुजी दीक्षित ने कीर्ति शब्द की व्याख्या ‘कीर्ति: प्रसाद यशसेर्विस्तारे कर्दमेऽपि च’ किया है। हेमचंद्र के अनेकार्थसंग्रह में भी ‘कीर्ति: यशसि विस्तारे प्रासादे कर्दमेऽपि च’ दिया गया है। इस प्रकार कीर्ति शब्द का प्रयोग यश तथा यश को विस्तृत करनेवाले किसी भी निर्माण कार्य के लिए हुआ है। अभिलेखों में भी वापी, बौद्ध, अथवा हिंदू मंदिर, तड़ाग, चैत्य और बौद्ध मट तथा मूर्तियों आदि के लिए कीर्ति शब्द का प्रयोग पाया जाता है। कीर्तिस्तंभ शब्द कीर्ति शब्द से जुड़ा हुआ है; इसका अर्थ विजयस्तंभ बनावाने की परिपाटी प्राचीन है। मिस्र, बाबुल, असूरिया तथा ईरान की प्राचीन सभ्यताओं के सम्राटों ने अपनी विजयों की प्रशस्तियाँ सदा स्तंभों पर उत्कीर्ण कराई थीं। भारत में यह प्रथा संभवत: गुप्त सम्राटों ने प्रचलित की। इनसे पूर्व के अशोक के जो स्तंभ है वे कीर्तिस्तंभ न होकर उसके धर्मदेशों के उद्घोष हैं।

कीर्ति स्तंभ राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल में से एक है जिसका निर्माण 12 वीं शताब्दी के दौरान किया गया था। आपको बता दें कि यह स्तंभ 220 मीटर लंबा है जो जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा प्रमुख तीर्थ माना जाता है। बता दें कि इस टॉवर का निर्माण एक जैन व्यापारी “बघेर वंशीय शाह जीजा” द्वारा राजा रावल कुमार सिंह के शासनकाल के दौरान किया गया था। ताकि जैन धर्म का महिमामंडन किया जा सके। बता दे कि कीर्ति स्तम्भ को टावर ऑफ फेम के नाम से भी जाना जाता है जो प्रथम तीर्थ कर ऋषभ को समर्पित है। यह स्तंभ दिगंबर संप्रदाय की जटिल नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। इस मंजिला टावर में आदित्यनाथ की प्रतिमा बनी हुई है। इसके साथ ही विभिन्न जैन संतों के चित्रों को स्तंभ के चारों कोनों पर उकेरा गया है जो इस स्तंभ को और भी ज्यादा आकर्षक बनाते हैं।

अगर आप चित्तौड़गढ़ की यात्रा करने के लिए जा रहे हैं, तो आपको कीर्ति स्तंभ देखने के लिए जरूर जाना चाहिए। क्योंकि यह स्तंभ ना केवल आपको इतिहास के पन्नों को पढ़ने का मौका देता है बल्कि यह देखने में भी बेहद आकर्षक नजर आता है। अगर आप कीर्ति स्तम्भ देखने जाने की योजना बना रहे हैं या इसके बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो हमारे इस लेख को अवश्य पढ़ें जिसमे हम आपको कीर्ति स्तंभ के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं –

कीर्ति स्तम्भ का इतिहास – Kirti Stambh History In Hindi

Image Credit: Sameer Joshi

कीर्ति स्तम्भ चित्तौड़गढ़ किले की सबसे प्रमुख संरचनाओं में से एक है। चित्तौड़गढ़ किले को अलाउद्दीन खिलजी द्वारा घेर लेने के बाद रानी पद्मिनी ने जौहर किया था। कीर्ति स्तम्भ चित्तौड़गढ़ किले का ही एक भाग है जिसका निर्माण जैन धर्म के प्रथम तीर्थ कर श्री आदित्यनाथ के समर्थन में किया गया था। इस टावर में तीन शिलालेख हैं जो इसके बारे में जानकारी देते हैं। इस स्तम्भ के ऊपर बनी हुई तीर्थ कार की नग्न कृतियां से पता चलता है कि यह दिगंबर संप्रदाय की है। इसके अलावा एक शिलालेख में धर्म कीर्ति, शुभ कीर्ति के शिष्य का उल्लेख है। यहां उपस्थित अभिलेखों से यह पता चलता है कि इस संरचना का निर्माण तेरहवीं शताब्दी के दौरान हुआ था।

कीर्ति स्तम्भ की वास्तुकला – Kirti Stambh Architecture In Hindi


बता दें कि कीर्ति स्तम्भ टावर ऑफ फ्रेम का निर्माण सोलंकी वास्तुकला की शैली में कई बालकनी यू और जटिल धनुष आकार के साथ किया गया है। यह टावर आपने 30 मीटर चौड़े बेस के साथ 72 मीटर ऊंचा है और नीचे 15 फीट तक फैला है। इस टावर के ऊपर एक अवलोकन कक्ष हे जो पर्यटक को नीचे के निवास स्थान का सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता। इस कक्ष तक पर्यटक एक सीढ़ी के माध्यम से पहुंच सकते हैं और आसपास के शानदार प्राकृतिक दृश्य का आनंद ले सकते हैं।

3. चित्तौड़गढ़ के कीर्ति स्तम्भ का प्रवेश शुल्क – Kirti Pillar Entry Fee In Hindi

यहां के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है।

4. कीर्ति स्तम्भ के खुलने और बंद होने का समय – Kirti Stambh Timings In Hindi

सुबह 10:00 से शाम के 5:00 बजे तक

No comments:

Post a Comment

हमारा वैश्य समाज के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।