#TURHA VAISHYA CASTE
बिहार में तुरहा जाति की जनसंख्या लगभग तीस लाख है। इस जाति के लोग विभिन्न प्रान्तों में विभिन्न उपनाम से जाने जाते हैं जैसे साह, साव, गुप्ता (बिहार), तोमर, तोमड़ (दिल्ली), सिंह, साव (उ०प्र०)। ये लोग ग्यारहवीं शताब्दी में वर्तमान दिल्ली क्षेत्र के शासक थे। तोमर अग्रणी अनंगपाल ने ११वीं के मध्य में शासन किया और दिल्ली नगर इसी ने बसाया। अतः आज भी तुरहा जाति के लोग जो दिल्ली में रहते हैं वे अपने को तोमर या तोमड़ कहलाते हैं। यह जाति आर्थिक दृष्टि से बिल्कुल पिछड़ी है। इस जाति के लोग साग सब्जी और अन्य तरह के व्यवसाय करके जीवन यापन करते हैं।
जाति की पत्रिका: इनकी पत्रिका का नाम है 'समाज दर्पण' (मासिक) और इसके सम्पादक हैं श्री राजेन्द्र प्रसाद साह अधिवक्ता तथा प्रकाशक 'तुरहा विकास संघ', हावड़ा, कलकत्ता (पश्चिमी बंगाल)। यह तुरहा जाति की प्रथम प्रकाशित पत्रिका है जो डा० अम्बिका प्रसाद के संरक्षण में निरन्तर प्रकाशित हो रही है। सन् १९८२ में प्रथम अंक प्रकाशित हुआ था।
गोत्र : तुरहा जाति का भी गोत्र कश्यप है। इनके कुल देवता बन्दीमीरा, कारिख बाबा, सूर्य और गोविन्द जी हैं। इष्ट देवता शनि महाराज है। पंच पीढ़ियों देवता में शादी करने में कुछ अड़चने हैं। लेकिन अब लोगों ने करना शुरु कर दिया है। शनि महाराज की पूजा प्रत्येक वर्ष श्रवण महीने में लिट्टी. खीर और पूडियों से करते हैं। शनि महाराज की पूजा सावन में मात्र तुरहा जाति के लोग करते हैं।
तुरहा जाति के संगठन का बीजारोपण ७ फरवरी सन् १९८३ को कलकत्ता १५ में हुआ। इसके संस्थापकों में श्री रामचरण प्रसाद साव (टी.टी.ई.) और डा० अम्बिका प्रसाद का विशेष योगदान रहा है। इस संगठन का नामकरण 'अखिल भारतीय तुरहा विकास संघ' हुआ। इसके अध्यक्ष डा० अम्बिका प्रसाद हावड़ा, कलकत्ता, श्री राजेन्द्र प्रसाद साव सचिव लालबहादुर साह, कलकत्ता, कार्यकारी अध्यक्ष और श्री विश्वनाथ प्रसाद गुप्ता संघ के उपाध्यक्ष चुने गये।
इस संघ ने अखिल भारतीय स्तर पर तुरहा जाति के स्व० रामविलास वर्मा 'तुरहा' की जन्मभूमि ताजपुर (समस्तीपुर) में दिनांक ३. ४ सितम्बर सन् १९८८ को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न किया। इसके पूर्व ६ फरवरी सन् १९८८ को गोलमोहर पार्क, इस्टर्न रेलवे इंस्टीटयूट हॉल, कलकत्ता में तुरहा विकास संघ का प्रथम पंचवर्षीय अधिवेशन सम्पन्न हुआ। इसी बीच अनिल भारतीय तुरहा कल्याण संघ बना। परन्तु सु०० ही समय बाद यह संगठन समाप्त हो गया। बिहार प्रान्त के तुरहा समाज के कुछ त्यागी, बुद्धिजीवियों और समाजसेवियों ने अखिल भारतीय स्तर पर एक अलग संगठन बनाया है पका नाम 'अखिल भारतीय तुरहा महासंघ' है जो पंजीकृत है और पंजीकृत संख्या ६२९/९२-९३ है जिसके अध्यक्ष श्री विश्वनाथ प्रसाद साह, पो० नागरा, रसूलपुर (सीवान) और राष्ट्रीय महासविव श्री राजेश्वर प्रसाद साह, लक्ष्मीचौक, मुजफ्फरपुर चुने गये हैं। बिहार प्रान्त तुरहा महासंघ के संस्थापक अध्यक्ष श्री इन्द्रदेव साह (सेवानिवृत्त ए डी एम., मुजफ्फरपुर) और प्रान्तीय सचिव श्री वैद्यनाथ प्रसाद अधिवक्ता, मुजफ्फरपुर तथा श्री वैद्यनाथ प्रसाद, श्री राजेश्वर प्रसाय कोषाध्यक्ष हैं।
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