#PATANSTH VAISHYA VANI - पाटनस्थ वैश्य वाणी
पतनस्थ वैश्य समुदाय सबसे पहले रायपाटन और खारेपाटन में बसा होगा। खारेपाटन प्राचीन काल से ही समृद्ध था। यह एक व्यापारिक केंद्र और खाड़ी बंदरगाह के रूप में प्रसिद्ध था। इसलिए यहां के वैश्य समुदाय को पतनस्थ वैश्य नाम मिला होगा।
इनकी आबादी गगनबावड़ा, भुइबावड़ा, पन्हाला, भूदरगढ़ तालुका और राधानगरी-चांडे मार्ग से सीधे कोल्हापुर तक पाई जाती है। घाट माथा पर इनकी आबादी अधिक है। साथ ही, यह समुदाय रत्नागिरी के मध्य भाग यानी राजापुर और देवगढ़ तालुका में स्थित है। इसके अलावा इनका निवास स्थान मुंबई के पुणे शहर में पाया जाता है।
पहले ये लोग खाने योग्य पत्तियों, केले, हल्दी और लिनन का बड़े पैमाने पर व्यापार करते थे। बामणे गांव में लाडवाड़ी, कोकाटेवाड़ी, जैतापकरवाड़ी में पतनस्थ वैश्यों के घर हैं। उनकी ग्राम देवता चाफाबाई का देउल गांव के केंद्र में है। स्वामी एवं पुजारी पतनस्थ वैश्य हैं।
उपनाम - कांडे, कुदतरकर, कोरगांवकर, धवन, तनवाडे, नारकर, महाजन, लाड, कोडे, खडये, फोंडगे, बिडये, शिरसाट, शिरोडकर, सपले, कामेरकर, जठार, कुदालकर, कोकाटे, खवले, खेतल, जैतापकर, नर, हल्दे आदि । हैं
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